यंत्र से लाभ
रत्नों और पत्थरों के विकल्प के रूप में यंत्रों को भी जाना जाता है । यंत्रों से आत्मबल बढ़ता है और साथ ही मार्ग में आने वाली बाधाओं का शमन होता है । यंत्र शक्ति भी देते हैं
ग्रहों के दुष्प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए आमतौर पर रत्न धारण करने, पूजा-पाठ या अनुष्ठान करने तथा जब-तप करने का विधान है । पर आज के जीवन में हमारे पास न तो इतना समय होता है और ना ही हम इन कार्यों पर ज्यादा धन खर्च करना चाहते हैं । ऐसे में बाधाओं के शमन और कार्यों में सफलता पाने के लिए धार्मिक उपायों को करने में मंत्र और यंत्र की शक्ति हमारे लिए लाभप्रद हो सकती है । इनके विषय में शास्त्रों में अत्यंत सरल, सहज एवं कम व्ययकारी उपायों का भी वर्णन मिलता है ।
मंत्रों से परिपूर्ण यंत्र, दरअसल रत्नों के अच्छे विकल्प माने जाते हैं । एक तो आप किसी भी ग्रह को मजबूत करने के लिए यंत्र धारण कर सकते हैं, दूसरे शत्रु बाधा मुक्ति, सुख-समृद्धि, धन लाभ भी पा सकते हैं । यान यंत्रों को कवच के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अभिप्राय होता है, रक्षा करने वाला । माना जाता है कि यंत्र में देवताओं का निवास होता है और जब हम उन्हें धारण करते हैं, तो हमारे सामने आने वाली हर विपत्ति को वह विफल कर देते हैं । पर ऐसा केवल मंत्र शक्ति से परिपूर्ण यंत्र के साथ ही होता है । वरना वह केवल धातु का टुकड़ा मात्र बन जाता है ।
यंत्रों की प्रयोग विधि
किसी भी यंत्र को धारण करने से पहले खुद को पवित्र करें तथा चित्र को सकारात्मक बनाए । अब पूर्व या उत्तर मुखी होकर आसन पर बैठ जाएं । सामने पूजा की चौकी पर तांबे या मिट्टी का कलश रखकर उस पर आम के पत्ते व नारियल रखें । नारियल के चारों ओर मौली बांध दे । साथ ही साथ नैवेद्य एवं अन्य पूजन सामग्री ले ले । अब ताजे पत्तों से अपने ऊपर व चारो ओर जल बिछड़के तथा अपनी कलाई पर मौली बांधे ।
माथे पर तिलक लगाकर जिस भगवान के नाम से यंत्र बनवाया है, उनका ध्यान करें । अपनी इच्छा पूर्ति का आशीर्वाद मांगे और यंत्र से संबंधित मंत्रोच्चारण करें । आप चाहे तो 108 की संख्या में गुरु मंत्र का जप भी कर सकते हैं । ध्यान रखें कि यंत्र का निर्माण किसी विद्वान व जानकार व्यक्ति से ही किया जाए । यदि उसमें जरा सी भी त्रुटि रह गई, तो वह यंत्र आपके लिए सामान्य धातु का टुकड़ा ही रह जाएगा । हमारे देश में सदियों से यह परंपरा विद्यमान है और आधुनिक युग में भी लोग इस पर भरोसा करते हैं ।
हालांकि गोपनीयता यंत्र के निर्माण में पहली शर्त मानी जाती है । साथ ही साथ धारण करने के बाद यंत्रों को लाभप्रद बनाए रखने के लिए इन्हें समय समय पर और ऊर्जान्वित करना भी आवश्यक होता है । वरना यह कुछ समय के बाद बेकार भी हो सकते हैं । कुल मिलाकर यंत्र आपके लिए ऐसे खजाने की चाबी की तरह होते हैं, जिसमें अथाह संपत्ति होती है । इसलिए सही मंत्र शक्ति से यंत्र ही आपको इस खजाने तक ले जा सकते ।
हैं दुर्गा यंत्र, कुबेर यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, गणेश यंत्र आदि के नाम से यंत्र मिलते हैं, पर यह भी तभी असरदार होते हैं, जब उन्हें पर्याप्त मंत्र शक्ति हो ।